मैथिल संदेश साप्ताहिक पुस १२ गते अंक २१
मैथिल समुदायमे हराइत किछ लोक व्यवहार
मैथिल समुदायमे हराइत किछ लोक व्यवहार
नागेन्द्रकुमार कर्ण
मैथिली भाषाक बहुत शब्द, व्यवहार सभ गुम होइत जा रहल अछि ।
व्यवहार कोनो समुदायके सब स बडका गहना मानल गेल अछि । मैथिली समुदायके व्यवहार
देशमें मात्रे टा नहि विदेशोमें प्रशंसनीय मानल गेल अछि । आजुक दिन हम मैथिली
समुदायमे विगतमे प्रयोगमे होइत आयल किछ शब्द सभके चर्चा करब । कि अपने सभके बुझल
अछि, ‘नुत’, ‘भोज’, ‘भार’, ‘बएन’, ‘सनेस’, ‘ककरा कहल जाइत
छै । पुरान लोकमे प्राय: सभकोय के इ जानकारीमे हायत लेकिन एखनुक डिजिटल मिडियामे
आवद्ध रहल आ लोक व्यवहार स विक्षुप्त रहल बहुत लोकके इ जानकारी अभाव हायत । आई हम
एहि विषय पर चर्च करब । सब स पहिल शब्द छै ‘नुत’ । नुत के अर्थ न्यौत, निमन्त्रण, नेओता होइत अछि । घर, परिवारमे भोज आयोजन काल नुत, न्यौता देल व्यक्ति, परिवारके भोजन कराओल जाइत अछि । पहिल
पहिल कोनो शुभादि काममे हजाम मार्फत नुत पठाओल जयबाक चलन आ परम्परा छल मुदा एखन
ओहो चलन हरागेल अछि ।
दोसर शब्द छै, भोज । मैथिली समुदायमे कोनो काज
व्यवहारमे भोज देवाक वा करबाक चलन अछि । नुत, न्यौत, न्योता, निमन्त्रण देल गेल सभके एकेठाम सामुहिक रुपमे
बजाऽ खुवोनाईके भोज कहल जाइत अछि । पहिला पहिला अपन दियाद, स्वजाति, चौगामा, अठगामा, सभाके भोज आयोजन होइत छल । पहिला पहिला सामाजिक
सदभाव आ एकताके प्रतिकके रुपमे भोजके परम्परा छल ।
तेसर, चारीम आ पाँचम शब्द छै, भार’ ‘बएन’, आ ‘सनेस’ । भार शब्द स
भारी बुझाइत अछि । पहिला पहिला मैथिली समुदायमे कोनो विशेष पावनि वा शुभ कामके
अवसरिमे विभिन्न पकवान, फलफुल
सब बाँसके लकडीके दुनु कात चँगेरा वा ढकियामे सामान सभ राखि पठाओल जाइत छल । ओकरे
भार कहैत छल । प्राय पावनि, त्योहार
आ विशेष अवसरमे भारके आदानप्रदान कायल जाइत छल । भार अयला पर अडोस पडोसके से हो
देखबाक लेल बजाओल जाइत छल आ सभके कनि कनि देल से हो जाइत छल । अडोसी पडोसी सभके
भारके रुपमे आयल सामग्री वितरण कार्यके ‘बएन’ देनाइ कहल जाइत छल । भारके रुपमे आयल सामग्री
सभके सनेस कहल जाइत छै । सनेस के अर्थ कोसेली वा उपहार होइत अछि । सनेसमें प्रायस:
खाद्य सामग्री सभ होइत अछि ।
मैथिल संदेश साप्ताहिकको चैत्र ९ गते २०७९ को अंक ३३
मैथिल संदेश साप्ताहिकको चैत्र ९ गते २०७९ को अंक ३३