एक बार एक गांव में बड़ी भयंकर आग लग गई . सभी गांव के लोग उसको भुजाने में लग गए . सभी पानी ला रहे थे . वहा पर एक चिड़िया भी थी वह अपनी चोंच में पानी भर भर कर ला के उस आग में डाल रही थी वहा पर एक कौवा भी बैठा हुआ था उसने चिड़िया का परिहास उड़ाते हुए कहा अरे मुर्ख चिड़िया तू कितनी भी कोशिश करले तेरे पानी डालने से ये आग नहीं भुजेगी तू पागलो जैसा काम कर रही हैं इसलिए तू व्यर्थ में परिश्रम मत कर यहाँ इसका कोई भी महत्व नहीं हैं
उस काग की बात सुनकर उस प्यारी सी चिडया ने कहा यह मुझे पहले से ही पता हैं लेकिन भविष्य में जब भी इस आग का जिक्र होगा तब मेरी गिनिती आग भुझाने वालो में होगी और धूर्त तेरी गिनती आग का तमाशा देखने वालो में होगी. चिड़िया की बात सुनकर कौवा दुखी हुआ और उसे चिडया की भावना का पता चला गया की चिड़िया ने कम से कम प्रयास तो किया मैंने तो ये प्रयास भी नहीं किया