नारीक चरित्र सभसँ रंगल कथासंग्रह ‘जिद्दी’
प्रसुन सिंह
महोत्तरी
जिद्दी कथासंग्रहक बारेमे हम पहिलबेर सामाजिक सञ्जाल फेसबुकके माध्यमसँ जानकारी पएलहुँ । अप्पन गृह जिल्ला महोत्तरीक सदरमुकाम जलेश्वरमें एहि पोथीक विमोचन भेल खबर सुनिकऽ हमरा मनमे स्वभाविक एहि पोथीके बारेमे आओर जानकारी लेबाक इच्छा भेल । अप्पन बाल्यावस्थामें मैथिली भाषा सँ परिचित नहि होएबाक कारणसँ हमरा अप्पन मातृभाषा प्रति आओर वेस रुचि आ स्नेह अछि । एहि भाषाक बारेमे जतेक भऽ सकैय ओतेक जानकारी आ एहि सऽ सामिप्यता बढएबाक इच्छा हमरामे स्वभाविक अछि । संगैह साहित्यके विद्यार्थी आ प्रेमी होएबाक कारण सँ हमरा एहि पोथीक प्रति विशेष जिज्ञासा छल ।
कात्र्तिक मासमे हम विजयादशमीसँ छठि पावनिधरि जलेश्वरमें रहलहुँ । हमर भित्र नागेन्द्रकुमार कर्ण सँ भेटक क्रममें संयोगवश एहि कथा संग्रहक बारेमे हम हुनका सँ पुछलहुँ । भाइटीकाक दिन हुनकर गाम सुगामें चित्रगुप्त पुजाक अवसर पर गेल छलहुँ त ओ हमरा जिद्दी उपहारस्वरुप देलाह । पोथी भेटैत मन खुस भगेल । हमर पहिल मैथिली कृति पढबाक अनुभव केहन हायत से सोचिकऽ हम आओर प्रफुल्लित भऽ गेलहुँ ।
अगिला दिन भोरे उठैत हम जिद्दीके हातमे लेलहुँ । सुरुवातमे रहल टिप्पणी सभ पढिकऽ किछ पूर्वजानकारी लेलाक बाद हम एहि पोथीके पहिल कथा ‘पूmल पूmलाइएकऽ रहल’ पढलँहु । कथा समापन होइते हमर भितरके पाठक प्रसन्न भगेल । हमरा लागल जे एहि कृत्ति पढबाक लेल हम एतेक बिलम्ब किया कएलहुँ ।
हमरा कथाकार सुजित कुमार झा आ एहि कृति प्रति और विश्वास बढल जखन पहिला कथा पढलाक बाद हमरा आरो कथा पढबाकलेल पन्ना उल्टएबाक इच्छा स्वतस्पूर्mत भेल । एकटा लेखकके विजयक लक्षण इहे छैक जे हुनकर कृत्तिके पाठकगण सुरु स लऽकऽ अन्तधरि पढबाक इच्छा होय ।
‘पूmल पूmलाइएकऽ रहल’ के पिंकीके अपन संगै भेल धोखाके अवसरिमे परिवर्तन करैत देखलहुँ त ओकर विवेकके मन सलाम कयलक । तहिना ‘नव व्यापारक’ साधनाक असन्तुष्टि आ नारी अधिकारक अपव्याख्यासँ अप्पन घरसंसार प्रतिके जिम्मेवारी सँ दुर भेल देखलहुँ त लागल अपने अडोसपडोसके ककरो चित्रण छैक । ‘खाली घर’ आ ‘व्यर्थक उडानमे’ मुख्य पात्र सभक मनोवैज्ञानिकपक्षक सूक्ष्म दर्शन भेटल । तहिना ‘लाल डायरी’ मे एक उत्तम ‘सस्पेन्स थ्रिलर’क स्वाद भेटल त ‘जिद्दी’क गिन्नी अपने समाजक दीशाहीन नवपुस्ताक यथार्थपरक चित्रण अछि । जिद्दीक आओर कथामे से हो उठाएल गेल विषय वहुत यर्थार्थपरक अछि । एहि संग्रहक कथा पढलाक बाद हमरा लागल जे इ त अपने अडोसपडोसक काका, काकी, भाइ, वहिन, दाइ, आ बाबाक जीवनक चित्रण अछि । मनमे स्वाभाविक रुपसँ एकटा आवाज अवैत छल, ‘ एहन फलानाकसंग से हो भेल छल, फलानाके स्वभाव त ठिके एहिना छैक’ ।
जिद्दीक विशेषतासभक बात कएल जाए त एहिके प्रत्येक कथामे नारी मुख्य पात्र (एचयतबनयलष्कत) अछि । नारीक चरित्रक विभिन्न रंगक एहिमे प्रस्तुति कएलगेल अछि । पिंकी आदर्श जीवनसाथीक उदाहरण छथि त साधना एक लापरवाह गृहिणीके । गिन्नी अप्पन लक्ष्यसँ भटकल युवतीक प्रतिनिधि छथि त ममता कल्पनाक पङ्ख लगाबिकऽ उडान करनिहार स्वप्नप्रेमी महिलाक । निमाक पत्नीव्रताक ढोंग आ लालचि चरित्र पाठकक मन सिहोरि दैत अछि त कामनी मैडमक ममत्व करुणाक भाव जगबैत अछि । एहिसँ इ अनुभव होएत अछि जे अप्पन समाजमे बहुतरास महिला छथि जे अप्पन घरसंसार सम्हारिकऽ रहल छथि आ तेहनो महिला छथि जे कोनो नै कोनो कारणसँ अप्पन जीवनक माला समेटिकऽ नहि राखऽ सकल छथि । कथाकार झा एक ख्भचकबतष्भि (बहुमुखी) सर्जक छथि एहि बातक प्रमाण से हो एहिसँ भेट जाइत अछि ।
एक पाठकक नजरसँ देखि त जिद्दी कथा संग्रह पढलाक बाद हमरा एक रोमान्चकारी साहित्यिक यात्राक स्वाद भेटल जाहिमे अप्पन मिथिलाञ्चलक घरघरके कहानी वहुत कुशलतापूर्वक कथाकार झा प्रस्तुत कयने छथि । हुनकर आगामी कृतिक प्रतिक्षा करैत हुनका जिद्दीक लेल बधाइ दैत छी, संगैह हुनकर आगामी रचना सभकलेल शुभकामना दैत छी ।
प्रसुन सिंह
महोत्तरी