कि अपने सभके बुझल अछि, ‘नुत’, ‘भोज’, ‘भार’, ‘बएन’, ‘सनेस’, ‘ककरा कहल जा...

कि अपने सभके बुझल अछि, ‘नुत’, ‘भोज’, ‘भार’, ‘बएन’, ‘सनेस’, ‘ककरा कहल जाइत छै ।

मैथिल समुदायमे हराइत किछ लोक व्यवहार

 

मैथिल समुदायमे हराइत किछ लोक व्यवहार

नागेन्द्रकुमार कर्ण

 


मैथिली भाषाक बहुत शब्द, व्यवहार सभ गुम होइत जा रहल अछि । व्यवहार कोनो समुदायके सब स बडका गहना मानल गेल अछि । मैथिली समुदायके व्यवहार देशमें मात्रे टा नहि विदेशोमें प्रशंसनीय मानल गेल अछि । आजुक दिन हम मैथिली समुदायमे विगतमे प्रयोगमे होइत आयल किछ शब्द सभके चर्चा करब । कि अपने सभके बुझल अछि, ‘नुत’, ‘भोज’, ‘भार’, ‘बएन’, ‘सनेस’,  ककरा कहल जाइत छै । पुरान लोकमे प्राय: सभकोय के इ जानकारीमे हायत लेकिन एखनुक डिजिटल मिडियामे आवद्ध रहल आ लोक व्यवहार स विक्षुप्त रहल बहुत लोकके इ जानकारी अभाव हायत । आई हम एहि विषय पर चर्च करब । सब स पहिल शब्द छै नुत। नुत के अर्थ न्यौत, निमन्त्रण, नेओता होइत अछि । घर, परिवारमे भोज आयोजन काल नुत, न्यौता देल व्यक्ति, परिवारके भोजन कराओल जाइत अछि । पहिल पहिल कोनो शुभादि काममे हजाम मार्फत नुत पठाओल जयबाक चलन आ परम्परा छल मुदा एखन ओहो चलन हरागेल अछि ।

दोसर शब्द छै, भोज । मैथिली समुदायमे कोनो काज व्यवहारमे भोज देवाक वा करबाक चलन अछि । नुत, न्यौत, न्योता, निमन्त्रण देल गेल सभके एकेठाम सामुहिक रुपमे बजाऽ खुवोनाईके भोज कहल जाइत अछि । पहिला पहिला अपन दियाद, स्वजाति, चौगामा, अठगामा, सभाके भोज आयोजन होइत छल । पहिला पहिला सामाजिक सदभाव आ एकताके प्रतिकके रुपमे भोजके परम्परा छल ।

तेसर, चारीम आ पाँचम शब्द छै, भार’ ‘बएन’, सनेस  । भार शब्द स भारी बुझाइत अछि । पहिला पहिला मैथिली समुदायमे कोनो विशेष पावनि वा शुभ कामके अवसरिमे विभिन्न पकवान, फलफुल सब बाँसके लकडीके दुनु कात चँगेरा वा ढकियामे सामान सभ राखि पठाओल जाइत छल । ओकरे भार कहैत छल । प्राय पावनि, त्योहार आ विशेष अवसरमे भारके आदानप्रदान कायल जाइत छल । भार अयला पर अडोस पडोसके से हो देखबाक लेल बजाओल जाइत छल आ सभके कनि कनि देल से हो जाइत छल । अडोसी पडोसी सभके भारके रुपमे आयल सामग्री वितरण कार्यके बएनदेनाइ कहल जाइत छल । भारके रुपमे आयल सामग्री सभके सनेस कहल जाइत छै । सनेस के अर्थ कोसेली वा उपहार होइत अछि । सनेसमें प्रायस: खाद्य सामग्री सभ होइत अछि ।