Thursday, August 21, 2025

अपनी बुराई सुनकर परेशान नहीं होना चाहिए

प्रेरक प्रसंगः


एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक संत अपने शिष्य के साथ एक गांव में रुके। कुछ ही दिनों संत की ख्याति आसपास के क्षेत्र में फैल गई। अब उनके प्रवचन सुनने और दर्शन करने के लिए दूर–दूर से लोग आने लगे। ये देखकर उसी गांव का एक अन्य पंडित परेशान हो गया। उसे लगने लगा कि इस संत की वजह से मेरे भक्त कम हो जाएंगे। मेरा जीवन यापन कैसे होगा ?

पंडित ने संत का दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया। वह लोगों के सामने उस संत की बुराई करता था। एक दिन संत के शिष्य को ये सारी बातें मालूम हुईं तो उसे बहुत गुस्सा आया। वह तुरंत ही अपने गुरु के पास पहुंचा और पूरी बात बताई। संत ने शिष्य की बातें सुनी और कहा कि उसे छोड़ों। अगर मैं उस पंडित से वाद–विवाद करूंगा तो इससे ये सब बातें फैलना बंद नहीं होंगी। इसीलिए उसकी बातें पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

संत ने देखा कि शिष्य का क्रोध शांत नहीं हुआ है। तब उन्होंने कहा कि जब जंगल का हाथी गांव में आता है तो उसे देखकर सभी कुत्ते भौंकने लगते हैं, लेकिन हाथी पर इसका कोई असर नहीं होता है। हाथी अपनी मस्त चाल चलते रहता है। कुत्ते भौंकते हुए थक जाते हैं और वापस अपने इलाके की ओर भाग जाते हैं। हमें भी अपनी बुराई करने वालों के साथ इसी तरह पेश आना चाहिए। हमें सिर्फ अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए और सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ते रहना चाहिए। हमारे अच्छे काम ही ऐसे लोगों का मुंह बंद कर सकते हैं।


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