मिथिलाक भोज सँ विलुप्त होईत केरा (केला) पातक उपयोग सँ फायदा - केराक पात स्वास्थ्य, धर्म, पर्यावरण, सौंदर्य आ अध्यात्मिक जीवनक लेल वरदान समान अछि आर अत्यंत लाभकारी होईत अछि। केरा पात ने केवल सस्ता, सरल आ सहज उपलब्ध वस्तु अछि, बल्कि ई बहुआयामी वरदान सेहो अछि।
★ रोग-प्रतिकारक शक्ति बढै, विषक असर मेटाय। नेचन एंटीबैक्टीरियल गुण, तन-मन शुद्ध बनाय॥ पोलिफिनोल भरल रहै, रोग-प्रतिरोधक दान। शरीर बने निरोग सदा, ताजगीक गुणगान॥ - केराक पात में पोलिफिनोल (एंटीऑक्सीडेंट) रहैत अछि जे कि शरीरक रोग-प्रतिरोधक क्षमता आर रोग-नाशक बल बढ़ाबैत छैक। अहि पात में नैसर्गिक एंटीबैक्टीरियल गुण रहैत अछि।
★ केरा पात पर भोज कर, पचै सहज भोजन। तन-मन पाबै सुख भरल, होय प्रसन्नता गहन॥ भोजन करल पात पर, उर्जा ताज भरय। तन मन जीवंत बनि उठै, आलस्य सब हरय॥ - स्वास्थ्यक दृष्टि सँ केराक पात पर भोजन स्वादिष्ट आ शुद्ध होइछ आर भोजन पचय में सहायक होइछ। केरा पात पर भोजन करलसँ पाचन क्रिया सहज बनि जाइछ। भोजन हलुक आ सुपाच्य होइछ, जे तन-मनमे सुख आ शांति भरैछ। पातक नैसर्गिक गुण उर्जा आ ताजगी प्रदान करैछ। आलस्य, थकान दूर भ’ जीवनमे जीवंतता आ प्रसन्नता उत्पन्न करैछ।
★ घरक वातारण बने, पात सँ शीतल-शांत। सकारात्मक उर्जा घरे, भरि दे शुभ गंधान्त॥ सकारात्मक भाव उठै, पात पर परसी भोज। मन हरषित, जीवन हसैत, घटै समस्त क्लेश॥ - केरा पात पर परसल भोजन सँ शरीर आर घर में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होईत छैक, ताजगी भेटैत अछि। केरा पात घरक वातावरण शीतल पवित्र आ शांत बनबैत अछि। भोजनक संग मन हर्षित होइछ, जीवनमे प्रसन्नता आ संतुलन अबैत अछि। आलस्य, क्लेश आ नकारात्मकता दूर भ’ सुख-शांति आ सौहार्द वातावरण मे भरि जाइछ।
★ सुगंध आ स्वाद बढ़ै, पात पर जे खाय। रसना धन्य भए उठै, आनन्दक रस छाय॥ केरा पात पर भोज कर, मन पाबै सुख-शांत। स्वाद सुगंध सँ बढ़ि गेल, मिटल तनक संताप॥ - केराक पायत पर भोजन कायला सँ मोन प्रसन्न रहैत छैक। भोजन परसीतहि स्वाद आ सुगंध बढ़ाबैछ। केरा पातक स्वच्छता आ नैसर्गिकता सँ भोजनक स्वाद आ सुगंध स्वाभाविक रूपेँ बढ़ि जाइछ। पातमे मौजूद नैसर्गिक तत्व रसना केँ तृप्त करैछ आ मनक आनन्द बढाबैछ। भोजन अधिक स्वादिष्ट, शुद्ध आ संतोषजनक बनि जाइछ। ई परंपरागत रीति स्वास्थ्य आ प्रसन्नता दुनू द’ रहल अछि। केरा पात पर भोजन करब आत्मिक शांति आ शारीरिक सुखक अनुभव देइछ। जे भोजन साधारण थालमे सामान्य लागैत अछि, से केरा पात पर परसला पर विशेष बनि जाइछ आ तनक थकान दूर भ’ जाइछ।
★ भोजन में विष दूर करै, पातक ई उपकार। सुरक्षित बनि जाय तन, जीवन होय अपार॥ - रक्त शुद्ध करबाक गुण, पातमे विद्यमान। शरीर भीतर विष हटल, स्वच्छ रहै प्राण॥ - केराक पायत में भोजनक विषाक्तता (फूड प्वाइजनिंग) कम करबाक क्षमता रहैत अछि। केरा पात में बैशालिन नामक रसायन रहैत अछि जे कि स्वास्थ्यकर होइछ।
★ पर्यावरणक मित्र ई, पात सहज उपहार। दोना पत्तल बनि सजै, हरित धरतीक सार॥ प्राकृतिक सौंदर्य सँ भरल, पात सदा मन भाव। हरित हरित रंगक छटा, नेचनक दे भाव॥ सहज विघटनशील ई, पर्यावरणक मित्र। धरती माँक रक्षा करै, बनल हरित शत्रु-वित्र॥ - पर्यावरण संरक्षण लेल ई सर्वोत्तम विकल्प अछि, कियैक तँ ई विघटनशील आ प्रदूषण रहित अछि। केरा पात पर्यावरण-मैत्री छैक। सौंदर्य दृष्टि सँ हरित छटा मनक शांति आ ताजगी बढ़ाबैछ। अहि सँ बनल दोना/पत्तल सँ प्रदूषण नै होईत छैक। केरा पात घरक वातारण शुद्ध करय में उपयोगी होइछ।
★ प्रकृतिक ई उपहार छैक, सस्तो आ सहजाय। प्लास्टिक-स्टीलक थाल सँ, उत्तम विकल्प बनाय॥ - प्लास्टिक वा स्टील थारीक मुकाबला में केराक पात प्राकृतिक, शुद्ध, पवित्र, स्वास्थ्यकर आ सुरक्षित विकल्प अछि। केरा पात प्रकृतिक वरदान अछि। ई सस्तो, सहज उपलब्ध आ पर्यावरण-मैत्री थालक रूप मे उपयोग होइछ। नेचन सँ जुड़ल एहि उपहार सँ धरतीक रक्षा सेहो संभव अछि।
★ चर्म रोगक लाभ दे, रस करै उपचार। घाव सजीव सुगम बने, हर ले दुख भार॥ फोड़ा-फुंसी लेप सँ, शीघ्र हरै संताप। पातक रस सँ तन बने, सुखमय आ निष्काप॥ - केरा पातक रस सँ चर्म रोगक लाभ होइछ आर रक्त शुद्धि में मदद भेटैत अछि। चोट अथवा फोड़ा फुंसी पर केराक पात सँ लेप करल जाए त जल्दी आराम भेटैत अछि।
★ स्वास्थ्य आ धर्मक मिलन, पर्यावरणक संग। चारू दृष्टि सँ लाभकर, पातक छवि अभंग॥पूजा-पाठक पावन तन, पात सदा उपयोग। शुद्धि आ विश्वासक संग, बढ़बै नेचन योग॥ केरा पात वरदान अछि, तन-मन-धर्मक संग।स्वास्थ्य, शांति, सौंदर्य सब, रहय अमर उमंग॥ व्रत-पूजा मे मानलैक, पवित्रता विशेष। पात पर जे भोजन करै, पुण्यक होय प्रवेश॥ - पूजा-पाठ आ धार्मिक कर्म में केराक पात के पवित्र मानल जाइछ। केरा पात में भोजन करल सँ व्रत-पूजा अधिक शुद्ध मानल जाइछ। अध्यात्मिक जीवनमे पवित्रता, संतुलन आ सात्त्विक ऊर्जा प्रसारित करैत अछि।
........लेखक - अशोक मिश्र, वाराणसी, दिनांक 18.09.2025, वृहस्पति दिन।
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